गुरुवार 23 अक्तूबर 2025 - 16:33
आयतुल्लाह मिर्ज़ा नाईनी ने अक्ल,इज़तेहाद,और जिहाद को मिलाकर उम्मत को नई बौद्धिक दिशा दीः आयतुल्लाह आराफ़ी

हौज़ा / ईरान के हौज़ा इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफ़ी ने कहा है कि मरहूम आयतुल्लाह मिर्जा मोहम्मद हुसैन नाईनी एक महान बौद्धिक और धार्मिक शख्सियत थे जिन्होंने अक्ल,इज़तेहाद,और जिहाद को मिलाकर उम्मत की दूरदर्शिता को एक साथ पेश किया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , ईरान के हौज़ा इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफ़ी ने कहा है कि मरहूम आयतुल्लाह मिर्जा मोहम्मद हुसैन नाईनी एक महान बौद्धिक और धार्मिक शख्सियत थे, जिन्होंने बौद्धिकता, इज्तिहाद और संघर्ष की दूरदर्शिता को एक साथ मिलाकर इस्लामी सोच में नए आयाम पैदा किए।

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में "मिर्जा-ए-नाईनी" को संबोधित करते हुए आयतुल्लाह आराफ़ी ने कहा कि मिर्जा नाईनी को याद करना वास्तव में हौज़ा के बौद्धिक, नैतिक और सामाजिक जीवन का नवीनीकरण है। नायनी एक संघर्षशील विद्वान थे, जिन्होंने धर्म, बुद्धि और राजनीति के आपसी रिश्ते को बहुत ही विद्वतापूर्ण ढंग से स्पष्ट किया।

उन्होंने कहा कि हौज़ा इल्मिया की मूल जिम्मेदारी यह है कि वह अपने महान लोगों की विरासत को पुनर्जीवित करे क्योंकि यही विरासत आज के छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं के लिए मार्गदर्शन का स्रोत है। आयतुल्लाह अराफी के अनुसार, "मिर्जा-ए-नाईनी धार्मिक बौद्धिकता, बौद्धिक स्वतंत्रता और आध्यात्मिकता के मेल की एक ज्वलंत मिसाल हैं, और उनकी बौद्धिक विरासत आज भी इस्लामी उम्मत के लिए मार्गदर्शक है।

उन्होंने आगे कहा कि आयतुल्लाह नाईनी की चालीस से अधिक वैज्ञानिक और शोध संबंधी कृतियों को इस सम्मेलन में प्रस्तुत किया जा रहा है, जिनमें उनके फतवे, इस्तिफ्ता और उसूली विषय शामिल हैं। ये सभी कृतियां न केवल वैज्ञानिक गहराई रखती हैं, बल्कि फिक़्ह (इस्लामी न्यायशास्त्र) और उसूल (सिद्धांत) की इज्तिहाद प्रणाली में एक नए अध्याय का जोड़ हैं।

हौज़ा इल्मिया के प्रमुख ने कहा कि मिर्जा नायनी का स्कूल ऑफ थॉट, इज्तिहादी परंपरा की रक्षा और आधुनिक बौद्धिक चुनौतियों की समझ का एक सुंदर मेल है। उन्होंने न केवल इल्म-ए-उसूल  को एक व्यवस्थित और सटीक प्रणाली में ढाला, बल्कि आधुनिक बौद्धिक और सामाजिक सवालों के जवाब भी प्रदान किए।

आयतुल्लाह आराफ़ी ने स्पष्ट किया कि "स्वर्गीय नाईनी ने हमें यह सबक दिया कि एक धार्मिक विद्वान यदि वास्तव में दूरदर्शी है, तो वह न केवल अपने समय की मांगों को समझता है, बल्कि उनका जवाब भी धर्म के सिद्धांतों की रोशनी में देता है।

उन्होंने कहा कि स्वर्गीय नाईनी ने संवैधानिक आंदोलन और साम्राज्यवाद विरोधी विद्रोहों में भी प्रभावी भूमिका निभाई, और नजफ और कर्बला के बौद्धिक केंद्रों में उनकी बौद्धिक नेतृत्त्व का दायरा न केवल ईरान बल्कि पूरे इस्लामी विश्व तक फैला हुआ था।

आयतुल्लाह अराफी ने इस अवसर पर क्रांति के नेता और ग्रैंड मरजा-ए-तकलीद के संदेशों का उल्लेख करते हुए कहा कि उनका मार्गदर्शन इस सम्मेलन के लिए मार्ग का प्रकाश स्तंभ है, और हमें चाहिए कि मरजा के वैज्ञानिक और नैतिक बयानों को व्यावहारिक रूप देने की कोशिश करें।

उन्होंने कहा कि मरहूम नाईनी का पाठ, उनका कलम, उनकी इज्तिहाद की पद्धति और राजनीतिक व सामाजिक जागरूकता, आज के छात्रों के लिए एक आदर्श उदाहरण है। वह न केवल अतीत के एक दिव्य विद्वान थे, बल्कि भविष्य के बौद्धिक नेता भी हैं।

अंत में आयतुल्लाह आराफ़ी ने कहा कि हौज़ा ए इल्मिया को चाहिए कि वह अतीत के इन विचारकों की बौद्धिक प्रणाली को आधुनिक वैज्ञानिक भाषा में प्रस्तुत करे, ताकि आने वाली पीढ़ियां नायनी जैसे महान लोगों के बौद्धिकता, स्वतंत्रता और इज्तिहाद के संदेश से लाभान्वित हो सकें।

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